सुशांत साईं सुंदरम | बिहार की राजनीति में युवा हमेशा से एक महत्वपूर्ण शक्ति रहे हैं, लेकिन हाल के वर्षों में उनकी भूमिका और भी निर्णायक हो गई है। 2025 के चुनावी माहौल में बिहार चुनाव में युवाओं की भूमिका केवल मतदाता के रूप में ही नहीं, बल्कि बदलाव के वाहक के रूप में भी देखी जा रही है। बढ़ती जागरूकता, सोशल मीडिया का प्रसार और शिक्षा के स्तर में सुधार ने युवाओं को राजनीतिक विमर्श के केंद्र में ला दिया है।
युवाओं की मुख्य मांगें
आज का युवा केवल बिजली, पानी, सड़क, नाला जैसी बुनियादी जरूरतों तक सीमित नहीं है। ये सुविधाएं तो अब न्यूनतम अपेक्षा बन चुकी हैं। युवा रोजगार, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं, तकनीकी विकास और पारदर्शी शासन जैसी मांगों को लेकर मुखर हैं।
रोजगार सृजन : सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों में अवसर
शिक्षा में सुधार : आधुनिक पाठ्यक्रम, डिजिटल लैब और शोध के अवसर
स्टार्टअप व उद्यमिता को बढ़ावा : वित्तीय सहायता व मेंटरशिप
पर्यावरण संरक्षण : स्वच्छ जल, हरित क्षेत्र और प्रदूषण नियंत्रण
विकास का नया एजेंडा
बिजली-पानी-सड़क-नाला अब चुनावी घोषणाओं का आरंभिक हिस्सा मात्र है। युवा चाहते हैं कि विकास की चर्चा कौशल विकास, आईटी सेक्टर, पर्यटन, कृषि में आधुनिक तकनीक और उद्योग स्थापना पर भी हो। डिजिटल बिहार, स्मार्ट शहर और सशक्त पंचायतें भी उनके एजेंडे का हिस्सा बन रहे हैं।
वोट किस आधार पर करेंगे युवा?
युवा वर्ग अब जातिगत समीकरण से आगे बढ़कर यह सोचने लगा है कि कौन-सी पार्टी या प्रत्याशी–
1. रोजगार के ठोस अवसर देगा
2. भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाएगा
3. शिक्षा और स्वास्थ्य में सुधार करेगा
4. तकनीकी और औद्योगिक विकास की स्पष्ट योजना पेश करेगा
जाति के अलावा और क्या होगा मुद्दा
बिहार की राजनीति लंबे समय तक जातिगत आधार पर घूमती रही, लेकिन नई पीढ़ी में यह सोच बदल रही है। जाति के अलावा —
1. रोजगार और आर्थिक विकास
2. शिक्षा की गुणवत्ता
3. पर्यावरण और जलवायु संकट
4. महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण
5. शासन की पारदर्शिता और जवाबदेही
6. जैसे मुद्दे निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।
आने वाले बिहार चुनाव में यह स्पष्ट है कि युवाओं की मुख्य मांगें अब बुनियादी सुविधाओं से आगे बढ़कर समग्र विकास की ओर मुड़ चुकी हैं। बिहार चुनाव में युवाओं की भूमिका अब केवल संख्या बल नहीं, बल्कि एजेंडा सेट करने और चुनावी नतीजों की दिशा तय करने में भी अहम होगी। यदि राजनीतिक दल इन नई प्राथमिकताओं को समझते हैं और उन पर गंभीरता से काम करते हैं, तो वे युवाओं का विश्वास जीत सकते हैं और यही बिहार के भविष्य की सबसे बड़ी गारंटी होगी।
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