जीवन में आगे बढ़ने के लिए क्यूँ जरूरी है सकारात्मक सोच रखना? - Sushant Sai Sundaram

वर्तमान समय में देखें तो चारों तरफ नकारात्मकता ही नकारात्मकता है। कोई कोरोना वायरस के डर से नकारात्मक बातें सोच रहा, किसी को नौकरी जाने का डर है, तो किसी के मन में कुछ और ही नकारात्मक बातें चल रही हैं। चलिए इन नकारात्मक मुद्दों को डस्टबिन में रखते हैं। एक कहानी पढ़िए।

एक व्यक्ति टैक्सी से रेलवे स्टेशन जा रहा था। टैक्सी वाला बड़े आराम से ठीक ठाक गति से टैक्सी चला रहा था। एक कार अचानक ही पार्किंग से निकलकर बीच रोड पर आ गई। यह देख टैक्सी ड्राइवर ने तेजी से ब्रेक लगाया और कार उसके टैक्सी से टकराते-टकराते बची। टैक्सी वाले ने कार वाले की बातों पर गुस्सा नहीं किया और क्षमा माँगते हुए आगे बढ़ गया। यह सब देख टैक्सी में बैठे व्यक्ति को गुस्सा आ गया उसने टैक्सी वाले से पूछा तुमने उस कार वाले को कुछ कहा क्यों नहीं हमारा एक्सीडेंट भी हो सकता था।

टैक्सी वाले ने कहा साहब बहुत से लोग कूड़ेदान की तरह होते हैं उनके दिमाग में क्रोध, घृणा, चिंता, निराशा जैसा कूड़ा भरा रहता है। जब उनके दिमाग में यह कूड़ा अधिक हो जाता है तो वे अपना बोझ हल्का करने के लिए इसे दूसरों पर फेंकने का मौका ढूँढ़ते हैं। ऐसे लोगो को मैं मुँह नहीं लगाना चाहता क्यूँकि फिर मैं भी कूड़ेदान की तरह हो जाऊँगा और फिर मेरे साथ-साथ मेरे आस पास के लोगो पर भी कूड़ा गिरेगा।

अब उस वक़्त उसका चुप रहना सही हो या गलत पर उसकी सोच में सकारात्मकता साफ़ झलक रही थी। वो अपना समय और शक्ति व्यर्थ नकारात्मक बातों में व्यर्थ नहीं करना चाहता था जो की बिल्कुल सही है।

ऊपर दी गयी बातों से आपको समझ तो आ ही गया होगा की सकारात्मक सोच में कितनी बड़ी शक्ति होती है। सकारात्‍मक सोच (Positive Thinking) आपके अंदर उर्जा का संचार करती है और आपको एक बेहतर इंसान भी बनाती है। इसलिए हालत चाहे कितने भी बुरे हों, सोच हमेशा सकारात्‍मक रखनी चाहिए।

कहते हैं सकारात्मक विचार एवं नकारात्मक विचार (Negative Thinking) बीज की तरह होते है जिन्हे हम दिमागी रुपी ज़मीन में बोते हैं जो आगे चलकर हमारे दृष्टिकोण एवं व्यवहार रुपी पेड़ का निर्धारण करता है। एक तरफ नकारात्मक विचार (Negative Thoughts) हमें घोर अंधकार में धकेल सकते हैं वहीं दूसरी तरफ सकारात्मक सोच (Positive Thoughts) हमें असफलता के अंधकार से निकाल सकती हैं। कुछ लोग कहते हैं की ये बातें कहने और सुनने में अच्छी लगती हैं पर हमारे बीच में ऐसे कई उदाहरण हैं जिनके बारें में आप जानेंगे तो आप भी सकारात्मक विचारों की शक्ति के बारे में समझ जाएंगे।

सुबह-सुबह माँ 'नहीं' शब्द किसी सूरत में नहीं बोलतीं। कुछ पूछे जाने पर अगर उसका जवाब 'नहीं' हो तो वे पूरी तरह उसे दूसरे तरीके से देने का प्रयास करती हैं। अगर पूछें कि क्या आज नाश्ते के साथ आम मिलेगा? और अगर आम नहीं हो तो वे कहेंगी कि दोपहर के खाने में आम मिलेगा। चाय के साथ बिस्किट खत्म हो जाये तो वे ये नहीं कहेंगी की बिस्किट नहीं है घर में या खत्म है। बल्कि वो कहेंगी, आज मंगवा देंगे। मैनें शायद ही कभी उन्हें 10-11 बजे दिन के पहले 'नहीं' शब्द का इस्तेमाल करते सुना होगा।

इस बारे में वो तीन कारणें बताती हैं। पहला, सुबह-सुबह बातचीत में भी नकारात्मक शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। दूसरा, माँ का मानना है कि हर बातों के दो पहलू होते हैं। जो नकारात्मक है उसका सकारात्मक पहलू भी है। उदाहरण के तौर पर अगर घर में बिस्कुट या आम नहीं है तो वो मंगवाया जा सकता है। तभी वो कहती हैं कि दोपहर के खाने में आम मिलेगा या शाम की चाय के साथ बिस्कुट। इस बीच वे घर के सामानों के साथ इनकी पूर्ति कर लेती हैं। तीसरा, माँ कहती हैं कि सुबह-सुबह भगवान घूमते हैं। अस्तु देवता के बारे में हो सकता है अपने भी सुना हो। घर के बड़े लोग बताते हैं कि अस्तु देवता प्रातः पहर में घूमते हैं। वो ये देखते हैं कि दिन की शुरुआत में किसकी क्या चाहत है? वो सबकी सुनते हैं और तथास्तु कर देते हैं। तथास्तु अर्थात ऐसा ही हो। और फिर दिनभर वही सब होता है जिसकी चाह हम सुबह के समय करते हैं।

रोंडा बर्न (Rhonda Byrne) एक ऑस्ट्रेलियाई टेलीविजन लेखक और निर्माता हैं। उनकी पुस्तक 'द सीक्रेट' (The Secret) आकर्षण के नियम (Law of Attraction) पर आधारित है। इस किताब में लेखिका ने मुख्य रूप से इसी बात को केंद्रित किया है कि आप अपने सपनों को ही वास्तविकता में कैसे परिवर्तित कर सकते है। उनके अनुसार हमेशा पैसे और समृद्धि के बारे में सोचने से ही वह हमारे पास आती है, लेखिका के अनुसार आपकी सोच ही इन सारी चीजो को आपके जीवन में प्रकट करती है। इसी प्रकार यदि आप किसी बुरी परिस्थिति के बारे में लगातार सोचते रहोंगे तो मजबूरन आपको डर की अनुभूति होंगी।

इसीलिए आपको हमेशा सकारात्मक ही सोचते रहना चाहिए। दुर्घटनाओं और बुरी किस्मत जैसी कोई चीज नहीं होती। बल्कि उन्होंने लिखा है - “आपकी वर्तमान जिंदगी आपके भूतकालीन विचारों का ही प्रतिबिंब है।”

अपने आसपास सकारात्मक माहौल बनाये रखना आवश्यक है। इसके लिए सबसे पहले तो वैसे लोगों से संगति रखें जो सकारात्मक सोच रखते हों। सकारात्मक सोच वाले लोग ही आपको सकारात्मक परामर्श भी देंगे। सकारात्मक परिणाम के लिए सकारात्मक सोच अत्यावश्यक है। आपमें सकारात्मक सोच हो लेकिन आपके साथ उठने-बैठने वाले लोगों में नकारात्मकता भरी हो तो फिर कुछ नहीं हो सकता। चलिए एक उदाहरण आपको देते हैं। भले अब आपको गणित न पसंद हो लेकिन बचपन में तो गणित पढ़ा ही होगा। न भी पढ़ा हो तो हिसाब-किताब का मामूली ज्ञान सामान्य जीवनचर्या में भी शामिल है। अब आपको बताते हैं। घनात्मक संख्या (Positive Numbers) और ऋणात्मक संख्या (Negative Numbers) जानते होंगे आप। घनात्मक संख्या अर्थात पॉजिटिव नंबर्स और ऋणात्मक संख्या अर्थात नेगेटिव नंबर्स। ऋणात्मक संख्या और घनात्मक संख्या का योग (Add) करने के लिए उन्हें जिसका अधिक मान हो उससे घटाया (Subtract) जाता है। घनात्मक संख्या का मान अधिक हो और ऋणात्मक संख्या का कम तो उसके योग के बाद आये योगफल में घनात्मक संख्या का चिन्ह (+) लगता है, यानी कि पॉजिटिव साइन। वैसे ही ऋणात्मक संख्या का मान अगर अधिक हो तो उसके योगफल में ऋणात्मक का चिन्ह (-) लगता है, यानी नेगेटिव।

अब शायद आपको यह समझ आ गया होगा कि अगर आप सकारात्मक सोच रखते हैं लेकिन आपके आसपास के लोग नकारात्मक, तो समाज में जो परिणाम निकलेगा वो नकारात्मक ही होगा। वहीं अगर आपकी सोच सकारात्मक है और आपके आसपास के लोगों की भी सोच सकारात्मक है तो इससे आपके समाज को भी सकारात्मक परिणाम मिलेगा और आपके साथ-साथ आपके समाज और आसपास के माहौल का भी विकास होगा। साथ ही सकारात्मक सोच आपको जीवन में आगे बढ़ने के लिए भी सहायक होगा। सकारात्मक सोच वाले व्यक्ति की ओर लोग स्वतः आकर्षित होते हैं।

अब सवाल यह है कि नकारात्मक मानसिकता वाले लोगों के साथ क्या किया जाए? तो इसके लिए आपको अपने भीतर सकारात्मक सोच के साथ उनके भीतर भी सकारात्मक सोच की ऊर्जा डालनी होगी। इसके लिए आपको निरंतर प्रयास करने होंगे। लेकिन यदि आपके प्रयास के बावजूद भी वैसे लोग अपनी सोच बदलने के लिए राजी न हों तो आपको जरूर उनसे दूरी बना लेनी होगी।

सकारात्मक सोच इंसान को हमेशा प्रगति, उन्नति और तरक्की की राह पर ही ले जाता है। इसलिए इंसान को अपने भीतर सकारात्मक सोच को जागृत करना बेहद जरूरी है।

~ सुशान्त साईं सुन्दरम

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3 Comments

  1. Very nice article, much love with blessed. Sai bless u always 😊

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  2. बहुत ही सकारात्मक लेख है धन्यवाद

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  3. अनुकरणीय आलेख

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