बड़े पापा ने घर के सभी बच्चों से उनके बाल्यकाल में धूप पकड़ने का काम जरुर करवाया है.
अब थोड़ी सी दुनियादारी की समझ आने के बाद इस बात की समझ आने लगी है कि धूप पकड़ने और उसमें असफल होने के पीछे भी जीवन का गूढ़ रहस्य छिपा है. यह सार्वभौमिक सत्य है कि पंचतत्व, आकाश, पृथिवी, जल, अग्नि, हवा को पकड़ पाना इन्सान के लिए असंभव सा है.
कुछ ऐसा ही हमारे जीवन में भी होता है. अल्पकालिक अवधि में भी हमें ऐसे लोग मिलते हैं या उनसे हमारा जुड़ाव हो जाता है, जिन्हें हम खोना नहीं चाहते. ऐसी इच्छा रखते हैं कि वे अंतकाल तक हमारे साथ ही बने रहें. लेकिन कई बार ऐसा हो नहीं पता और हमें अंततः परिस्थितिवश अलग होना पड़ता है.
यह बिलकुल वैसा ही है जैसे हम बचपन में धूप को अपनी मुट्ठी में बंद कर लेने की कोशिश किया करते थे. लेकिन धूप को पकड़ पाना असंभव है. जीवन में विरह और मिलन भी काल द्वारा ही निर्धारित है.
बाल्यकाल में धूप को नहीं पकड़ पाने का मलाल कभी नहीं हुआ, वैसे ही किसी से बिछड़ने का भी मलाल या दुःख नहीं होना चाहिए.
~ सुशान्त साईं सुन्दरम
2 Comments
हिंदी भाषा , कि समझ शब्दों को गढ़ने की कला में निपुण हैं आप, आशा करता हूं ,, और भी सुंदर अनुभव को साझा करेंगे।
ReplyDelete☺️👍
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