दिलों को राहत दे यूँ चले जाना! श्रद्धांजलि राहत इंदौरी साहब

अपनी शायरी से सबको मंत्रमुग्ध कर दिल से दिल को जोड़ देने वाले हर दिल अज़ीज शायर राहत इंदौरी साहब का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. उनके इंतकाल से पैदा हुआ शून्य लंबे समय तक भरा न जा सकेगा.

वर्ष 2013-2015 के बीच पटना में कई कवि सम्मेलनों में उन्हें देखने-सुनने का सुअवसर मिला. वहीं जब आदरणीय राहत साहब का वर्ष 2017 में दैनिक जागरण अखबार द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन में जमुई की धरती पर आगमन हुआ तो कार्यक्रम समाप्ति के बाद सौभाग्यवश उनसे मिलने और बात करने का भी मौका मिला. सुनते ही कि शौकिया लिखता हूँ, उन्हें कहा - 'लिखो. खूब लिखो. सुनने वालों की कमी नहीं, लिखने वाले कम ही हैं.'

राहत साहब के कोरोना संक्रमण की खबर सुनकर विचलित था और उनके जल्द ठीक हो जाने की प्रार्थना कर रहा था. यूँ अचानक से उनके इंतकाल की खबर सुन कलेजा धक सा रह गया है. अपनी लेखनी, शायरी, अंदाज़ और व्यक्तित्व में वे सदैव स्मरणीय रहेंगे.

अंत में उनकी ही लिखी लाइनें :
"अफवाह थी कि मेरी तबियत खराब है,
लोगों ने पूछ-पूछ के बीमार कर दिया।
दो गज ही सही मेरी मिल्कियत तो है,
ऐ मौत तूने मुझे जमींदार कर दिया।"
#RahatIndori #RahatIndoriSahab

(तस्वीर जमुई में वर्ष 2017 की. साथ हैं वरिष्ठ शिक्षिका श्रीमती आर्या सिंह एवं दैनिक जागरण के वरिष्ठ पत्रकार श्री आशुतोष सिंह)

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