निर्भया के गुनाहगारों को फांसी की सजा मिली। बहुप्रतीक्षित फैसला आया। निर्भया कभी मरी ही नहीं, हमने उसे मरने कहाँ दिया। वो तो हमेशा हमारे भीतर एक डर बनकर जिन्दा रही। जिसके साथ हुए पराकाष्ठा की हद तक की हैवानियत ने हमारी रूह को झकझोर कर रख दिया। लेकिन आज वो डर थोड़ा कम हुआ कि न्याय देर-सवेर सभी को मिलेगी। इन सबके बावजूद भी मन में एक टीस सी है। छह गुनाहगारों में से एक ने ग्लानिभाव से क्षुब्ध होकर आत्महत्या कर लिया। चार को आज फांसी की सजा मिली। लेकिन वो एक गुनहगार जिसने सबसे ज्यादा अमानवीय कृत्य किया था, जिसने नोंच-खंसोटकर, जिसने पीड़िता के प्राइवेट पार्ट में रॉड डालकर हैवानियत की सारी हदें पार कर दी। वो आज खुलेआम घूम रहा है। केवल इसलिए कि जब निर्भया के साथ उसने दुष्कर्म किया था तब वो नाबालिग था। लेकिन यह भी गौर करने वाली बात है कि उसके कृत्य बालिग-नाबालिग से सम्बंधित नहीं थे। उसने अमनुष्यता की हदें पार की थी। उसे सजा मिलनी चाहिए थी। फांसी की सजा। ऐसे नीच दुष्टों को इस धरा पर रहने का कोई अधिकार नहीं। आज उसे भी फांसी की सजा होनी चाहिए थी। उसे भी फांसी पर लटकाया जाना चाहिए था। लेकिन अफ़सोस! फिर भी उम्मीद है कि न्याय होगा। जरूर होगा। होना भी चाहिए। वरना खुलेआम घूमकर वो दानव इस समाज के लिए और भी हानिकारक बन जायेगा। #Nirbhaya
गिद्धौर | 05/05/2017, शुक्रवार
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